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कृष्ण जन्माष्टमी, हिन्दू परंपरा के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे भारत और पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन, भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, जिन्हें भगवद गीता के अद्वितीय उपदेशके रूप में जाना जाता है। इस ब्लॉग में, हम कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर श्री कृष्ण के जीवन और गीता के अद्भुत रहस्यों को जानेंगे।

श्री कृष्ण: भगवान का अवतार

श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था, और उन्हें भगवान का अवतार माना जाता है। वे वृंदावन के नंद महाराज और यशोदा माता के घर बचपन में बढ़े थे और अपने लीलाओं और गोपियों के साथ कर्षण वन्दन किए थे। श्री कृष्ण के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा महाभारत महाकाव्य में उनका योगदान था, जिसमें वे अर्जुन को अपने उपदेश के माध्यम से भगवद गीता का उपदेश देते हैं।

भगवद गीता: जीवन के अद्भुत रहस्य

भगवद गीता, जो महाभारत महाकाव्य का एक अद्वितीय भाग है, श्री कृष्ण के उपदेश को रूपरेखित करता है और विभिन्न पहलुओं में उसका विशेष अध्ययन करता है। यह गीता जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने और समझने का माध्यम है और इसमें कई अद्वितीय रहस्य हैं:

1. आत्मा का अद्भुत रहस्य: भगवद गीता में आत्मा के महत्व का विशेष रूप से माध्यमिक और आध्यात्मिक पहलु पर बल दिया गया है। इसमें यह बताया गया है कि आत्मा अमर होती है और शरीर का केवल एक आवास होता है।

2. कर्म और योग: भगवद गीता में कर्म और योग के महत्व को बताया गया है। यह बताता है कि कर्म करना महत्वपूर्ण है, परंतु भगवान की भक्ति में भी लगन और समर्पण की आवश्यकता होती है।

3. भक्ति और सेवा: गीता में भक्ति के महत्व को बड़े ध्यान से बताया गया है। श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवान की भक्ति में समर्पण करने की सलाह दी और यह बताया कि सबकुछ भगवान की मर्जी पर आधारित होना चाहिए।

4. ध्यान और मोक्ष: भगवद गीता में ध्यान के महत्व को भी बताया गया है। यह बताता है कि ध्यान और मेधा के माध्यम से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है और भगवान की अनुग्रह को प्राप्त कर सकता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन, भगवान के अवतार होने के उपलक्ष्य में अनेक प्रकार की पूजा और आयोजन किए जाते हैं। मन्दिरों में भगवान की मूर्ति को सजाया जाता है, और भगवान के लीलाओं के किस्से सुनाए जाते हैं। रासलीला का आयोजन भी इस दिन होता है, जिसमें गोपियां भगवान के साथ नृत्य करती हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का दिन भगवान के भक्तों के लिए एक अद्वितीय अवसर होता है जब वे भगवान के नाम पर भगवान की पूजा और भक्ति करते हैं। इस दिन के अवसर पर भगवान की आराधना, कीर्तन और प्रवचन किए जाते हैं, जिससे भगवान के उपदेश को याद किया जाता है और भक्ति में और भी महत्वपूर्णता दी जाती है।

कृष्ण जन्माष्टमी: धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर

कृष्ण जन्माष्टमी न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस दिन को लोग आत्मा के आध्यात्मिक उत्थान और मनःशांति की प्राप्ति के लिए एक मौका मानते हैं और इस अद्भुत त्योहार के माध्यम से अपने जीवन में सद्गुण और सच्चे मार्ग की ओर प्रवृत्त होते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हर वर्ग के लोगों के बीच समाज के अद्वितीय रूपरेखा की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। यह एक अवसर है जब सभी लोग एक साथ आत्मा की गहरी अर्थात्मिक खोज की ओर बढ़ते हैं और धर्मिक विचारों और आध्यात्मिकता के माध्यम से अपनी भगवान से गहरा संबंध बनाते हैं।

समापन

कृष्ण जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें श्री कृष्ण के जीवन और गीता के अद्भुत रहस्यों का महत्वपूर्ण सन्देश देता है। यह एक दिन नहीं है बल्कि एक अद्भुत अवसर है जब हम अपने आत्मा के साथ जुड़ कर धार्मिकता और आध्यात्मिकता के माध्यम से अपने जीवन को धन्य और मार्गदर्शित बना सकते हैं। इसे मनाकर हम श्री कृष्ण के उपदेशों का सम्मान करते हैं और अपने जीवन को उनके दिशा में दिशा मिलाते हैं, जिससे हम आत्मा की ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं।

जब श्री कृष्णा का आगमन होता है, तो सम्पूर्ण देश में खुशियाँ और उत्सव का माहौल बन जाता है। श्री कृष्णा जन्मोत्सव, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाने का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, श्री कृष्णा जन्माष्टमी 6 सितंबर को पड़ रहा है और इसे जन्माष्टमी योग के साथ मनाने का विशेष महत्व है।

जन्माष्टमी योग:

श्री कृष्णा के जन्माष्टमी को विशेष रूप से मनाने के लिए विशेष योग होते हैं, जिन्हें जन्माष्टमी योग कहा जाता है। इन योगों का महत्व है क्योंकि इन्हें मनने से व्यक्ति को श्री कृष्णा के दर्शन होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

रोहिणी व्रत:

इस व्रत को 5 सितंबर 2023 को मनाना होगा। इस दिन भक्त श्रीकृष्णा के निमंत्रण के रूप में दूध और मक्खन की मूर्ति बनाकर पूजा करते हैं और फिर इसे तोड़कर खिलाते हैं। यह व्रत श्री कृष्णा की मां रोहिणी और उनके भक्तों द्वारा मनाया जाता है।

आष्टमी तिथि:

श्री कृष्णा जन्माष्टमी इस वर्ष 6 सितंबर 2023 को है। इस दिन भगवान के जन्म के साथ रात के वक्त भगवान की एक मूर्ति का अभिषेक किया जाता है और व्रत तोड़ने का समय भी आठवीं तिथि के अनुसार होता है।

नंदोत्सव:

श्री कृष्णा के जन्म के बाद, नंद बाबू के घर में खुशियाँ मनाई जाती हैं। नंदोत्सव का महत्व भी विशेष है, और इसे 7 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा।

श्री कृष्णा जन्माष्टमी का महत्व:

श्री कृष्णा जन्मोत्सव का उद्देश्य भगवान के आगमन को मनाना और उनके जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को याद करना है। यह पर्व भक्तों के लिए एक अवसर है अपने मानसिक और आध्यात्मिक जीवन को सुधारने का।

जन्माष्टमी के उपहार:

श्री कृष्णा जन्मोत्सव के दिन भक्त अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर पूजा करते हैं, किताबों का दान करते हैं, और भोग बनाते हैं जिसे प्रसाद के रूप में बाँटते हैं।

निष्कर्ष:

श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2023 के अवसर पर, हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को याद रखना चाहिए और उनके मार्गदर्शन में चलना चाहिए। इस अवसर पर व्रत और जयंती योग का महत्व होता है, जिन्हें ध्यानपूर्वक मनाकर हम अपने जीवन को धार्मिकता और आध्यात्मिकता की दिशा में मजबूत कर सकते हैं। इस जन्माष्टमी पर्व को खुशी और शांति के साथ मनाने की शुभकामनाएँ!