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kis mala se karen jaap

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मंत्रों का जाप हमारे आध्यात्मिक और आत्मिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंत्रों के जाप से हम अपने मानसिक स्थिति को सुधार सकते हैं, आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं, और आत्मा के साथ अध्यात्मिक जुड़ाव अनुभव कर सकते हैं। मंत्रों के जाप के लिए अलग-अलग रत्नों की मालाएं प्रयोग की जाती हैं, जो उस मंत्र के उद्देश्य और प्रयोजन के आधार पर चयन की जाती हैं। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि किस मंत्र के जाप हेतु कौन से रत्न की माला का प्रयोग किया जा सकता है और इन मंत्रों के महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

गणेश मंत्र – मूं

रत्न की माला: मोती (Pearl)

महत्व: गणेश मंत्र “ऊँ गं गणपतये नमः” है जो गणपति बप्पा का मंत्र है। यह मंत्र गणपति की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत ही प्रभावकारी है। मोती की माला इस मंत्र के जाप के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, क्योंकि मोती को गणपति की यह शक्ति से जोड़ा जाता है कि वह भक्तों के जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर दें।

लक्ष्मी मंत्र – श्रीं

रत्न की माला: रत्न आभूषण (Gemstone Jewelry)

महत्व: लक्ष्मी मंत्र “श्रीं” धन, संपत्ति, और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का मंत्र है। यह मंत्र धन के व्यापार में समृद्धि प्राप्त करने के लिए प्रासंगिक है और यह भक्तों के जीवन में आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रयोग किया जाता है। रत्न आभूषण जैसे कि रुद्राक्ष, पुखराज, या मोती, इस मंत्र के जाप के साथ प्रयोग किए जा सकते हैं।

कृष्ण मंत्र – हरे कृष्ण, हरे राम

रत्न की माला: सफेद मूंगा (White Coral)

महत्व: कृष्ण मंत्र “हरे कृष्ण, हरे राम” भगवान कृष्ण की पूजा और आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयोग किया जाता है। सफेद मूंगा इस मंत्र के जाप के साथ अत्यधिक प्रासंगिक होता है और भक्तों को आध्यात्मिक जागरूकता और आत्मा के साथ जुड़ने का मार्ग प्रदान करता है।

शिव मंत्र – ॐ नमः शिवाय

रत्न की माला: रुद्राक्ष (Rudraksha)

महत्व: शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” भगवान शिव को समर्पित है और इसका जाप भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति, और मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इस मंत्र के जाप के लिए रुद्राक्ष माला बहुत ही प्रमुख होती है, क्योंकि यह शिव की कृपा और आशीर्वाद को बढ़ावा देती है।

बुद्ध मंत्र – ॐ मणिपद्मे हूँ

रत्न की माला: मोती (Pearl) या पुखराज (Yellow Sapphire)

महत्व: बुद्ध मंत्र “ॐ मणिपद्मे हूँ” बुद्ध देवता को समर्पित है और यह आत्मज्ञान, बुद्धि, और शांति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। मोती या पुखराज की माला इस मंत्र के जाप के लिए अद्वितीय रूप से प्रासंगिक होती है, क्योंकि ये मंत्र व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि प्रदान करता है।

दुर्गा मंत्र – ॐ दुं दुर्गायै नमः

रत्न की माला: रुद्राक्ष (Rudraksha) या माणिक्य (Ruby)

महत्व: दुर्गा मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मां दुर्गा की पूजा और रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र भक्तों को सुरक्षा, साहस, और सामर्थ्य की दिशा में मार्गदर्शन करता है। रुद्राक्ष या माणिक्य की माला इस मंत्र के जाप के लिए उपयुक्त होती है, क्योंकि ये मंत्र दुर्गा की कृपा और सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

सरस्वती मंत्र – ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः

रत्न की माला: मोती (Pearl) या सफेद मूंगा (White Coral)

महत्व: सरस्वती मंत्र “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मां सरस्वती की पूजा और विद्या के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र विद्या, ज्ञान, और बुद्धि की देवी सरस्वती की कृपा को प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। मोती या सफेद मूंगा की माला इस मंत्र के जाप के लिए अत्यधिक प्रासंगिक होती है, क्योंकि ये मंत्र व्यक्ति की ज्ञान क्षमता और शिक्षा में वृद्धि प्रदान करता है।

हनुमान मंत्र – ॐ हनुमान्ते नमः

रत्न की माला: रुद्राक्ष (Rudraksha) या गोमेद (Hessonite)

महत्व: हनुमान मंत्र “ॐ हनुमान्ते नमः” हनुमान जी की पूजा और शक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र भक्तों को शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास की दिशा में मार्गदर्शन करता है। रुद्राक्ष या गोमेद की माला इस मंत्र के जाप के लिए अत्यधिक प्रासंगिक होती है, क्योंकि ये मंत्र हनुमान जी की कृपा और शक्ति को बढ़ावा देता है।

राम मंत्र – ॐ राम रामाय नमः

रत्न की माला: पुखराज (Yellow Sapphire) या माणिक्य (Ruby)

महत्व: राम मंत्र “ॐ राम रामाय नमः” भगवान राम को समर्पित है और यह भक्तों को शांति, समर्पण, और आत्मा के साथ जुड़ने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। पुखराज या माणिक्य की माला इस मंत्र के जाप के लिए उपयुक्त होती है, क्योंकि यह मंत्र व्यक्ति को आत्मा के साथ एकात्मता का अहसास कराता है।

काली मंत्र – ॐ क्रीं कालिकायै नमः

रत्न की माला: नीलम (Blue Sapphire) या माणिक्य (Ruby)

महत्व: काली मंत्र “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मां काली को समर्पित है और यह शक्ति, संकट, और संकट से मुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। नीलम या माणिक्य की माला इस मंत्र के जाप के लिए अत्यधिक प्रासंगिक होती है, क्योंकि यह मंत्र व्यक्ति को साहसीता और दृढ़ निश्चय की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

कैसे करें मंत्र जाप:

  1. सान्ध्या काल में मंत्र जाप करें: सान्ध्या काल (सूर्यास्त और सूर्यास्त के बाद) या सुबह के समय मंत्र जाप करने का आदर्श समय होता है, क्योंकि इस समय आत्मा और मानसिकता शुद्ध रहती है।
  2. ध्यान और अवगाहन: मंत्र जाप करते समय ध्यान केंद्रित और अवगाहन में रहने का प्रयास करें। माला के माध्यम से मंत्र को जपते समय उसका अर्थ और महत्व सोचें।
  3. प्राणायाम: साहसी क्षमता और आत्म-समर्पण को बढ़ावा देने के लिए प्राणायाम अभ्यास करें।
  4. पूजा और ध्यान: मंत्र जाप करने से पहले भगवान की पूजा और ध्यान करें। इससे आपका अभ्यास प्रभावकारी होगा।
  5. माला के साथ जप: माला के माध्यम से मंत्र की संख्या को गिनते हुए जप करें।
  6. स्वाध्याय और समर्पण: मंत्र जाप करते समय अपने स्वाध्याय का पालन करें और अपने आत्मा को ईश्वर को समर्पित करें।
  7. ध्यानात्मक अवस्था: मंत्र जाप करते समय ध्यानात्मक अवस्था में रहें और मन को खाली और शांत रखने का प्रयास करें।

समापन:

मंत्रों का जाप आत्मा के विकास और आत्मिक जीवन में मदद कर सकता है। आपके अद्वितीय लक्ष्यों और आध्यात्मिक आवश्यकताओं के आधार पर, आप उपयुक्त रत्न की माला का चयन कर सकते हैं और उसी माला के साथ मंत्र जाप कर सकते हैं। यह जरूरी है कि आप मंत्र जाप को ध्यान, समर्पण, और समर्थन के साथ करें और इसका अभ्यास नियमित रूप से करें ताकि आप इसके माध्यम से आत्मा के साथ जुड़ सकें और अपने आत्मिक यात्रा में आगे बढ़ सकें।